ज़िंदगी जब क़ैद जैसे लम्हों में उलझ जाती है, तो जमानत की खबर दिल में नई उम्मीद जगा देती है। जेल से जमानत होने पर शायरी ऐसे ही एहसासों को लफ़्ज़ों में पिरोने का एक खूबसूरत ज़रिया बन जाती है, जहाँ डर, राहत और आज़ादी सब एक साथ महसूस होते हैं।
जमानत पर बाहर आने का वो पहला कदम अक्सर दिल को गहराई से छू जाता है। इसलिए इस ब्लॉग में हम जेल से जमानत होने पर शायरी के ज़रिए उन भावनाओं को उजागर करेंगे, जो टूटे हुए मन को फिर से जीने की हिम्मत देती हैं।
जेल से जमानत होने पर शायरी

क़ैद के अंधेरों में भी उम्मीद जिंदा थी,
आज जमानत ने दिल की दुनिया हरी-भरी कर दी।

ज़ंजीरों में भी रखा मैंने हौसला अपने,
जमानत की घड़ी में मिली आज़ादी की रोशनी।

जेल की दीवारें तोड़ गई आज़ादी की हवा,
हर सांस में अब बस खुशियों का बसेरा।

क़ैद का डर अब यादों में बस गया,
आज जमानत की खुशी हर तरफ़ छा गई।

बंदिशों में भी रखा मैंने अपना हौसला,
आज आज़ादी ने भर दी खुशी की झोली।
जेल शायरी इन हिंदी
क़ैद में भी उम्मीद ने साथ निभाया,
जमानत ने दिल को फिर से मुस्कुराया।
बंदिशों के साए अब पीछे रह गए,
जमानत की खुशी में हर तरफ़ रंग फैल गए।
जेल की दीवारें मेरे हौसले से डर गईं,
जमानत की घड़ी ने मुझे फिर से उड़ान दी।
क़ैद की हर शाम में बस खुद से लड़ा,
जमानत की हवा में अब सुकून मेरा साथ पड़ा।
क़ैद के दिन भी अब यादों में रह गए,
ज़ंजीरों के साए अब पीछे छूट गए।
जमानत की घड़ी में मिली जो राहत,
वो एहसास कभी न कोई भुला पाए।
जेल से छूटने पर शायरी
दीवारों ने सिखाया सहना,
अब खुला आसमान भी गले लगा रहा।
अँधेरी रातों में रोशनी की तलाश थी,
आज सूरज मेरे कदमों में है।
सन्नाटों में गूँजती थी सिर्फ़ मेरी दुआ,
अब आज़ादी ने दी मुझे नई हवा।
जेल की यादें होंगी चाहे कितनी भी भारी,
पर आज जमानत ने दिल को कर दिया खुशहाल सवेरा।
जंजीरों से मुक्त हुआ आज मैं,
अँधेरे में भी रोशनी पा गया मैं।
ज़मीन भी जैसे हिल उठी हो,
जब कदमों ने घर का दरवाज़ा छू लिया।
काली रातों ने डराया था मुझको,
लेकिन अब सूरज की रोशनी है मेरे साथ।
जेल से निकला हूँ, पर सिर्फ़ बदन से,
रूह अब भी मजबूत, और दिल अब भी आग में।
जेल से रिहाई पर शायरी
राहें अब खुली हैं मेरे लिए,
दिल में उम्मीदों का दीपक जल रहा।
जेल की दीवारों ने मुझको तोड़ने की कोशिश की,
लेकिन रूह ने हिम्मत की मशाल जलायी।
हर क़दम आज़ादी की ओर,
हर सांस नए जीवन की ओर।
अँधेरा चाहे कितना भी गहरा था,
मैंने उम्मीद की रोशनी नहीं खोई।
आज़ादी का स्वाद मीठा है,
हर दर्द को पीछे छोड़ना है।
जेल से बेल शायरी
जेल ने सिखाया कि धैर्य सबसे बड़ा हथियार है,
अब मैं दुनिया को अपने हौसले से जीतूंगा।
जंजीरों ने सिखाया बंधन का मूल्य,
आज़ादी में अब जीवन का असली सुख मिला।
क़ैद में अकेलापन साथी था,
आज दुनिया मेरे कदमों में है।
दीवारों के पीछे जो रोया,
अब हवा में हँसी बिखेरता है।
अँधेरी रातें गईं, रोशनी आई,
जेल की यादें भी मुस्कुराई।
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं कि जेल से जमानत होने पर शायरी का संग्रह आप लोगों को जरूर पसंद आया होगा यदि पसंद आया हो तो इसे अपने उन दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जो कभी जेल से जमानत होने पर वापस घर लौटे हो ताकि उनका भी मन हल्का हो सके।